किसान का बेटा निराश्रितों के लिए अपना घर आश्रम को भेंट करेगा एम्बूलेंस - चाचा की याद को जीवित रखने के पलसोड़ा के राठौड़ परिवार ने पेश की मिसाल
Life service is the best medium to keep the memories of our loved ones alive even after their death. Fulfilling this sentiment, farmer and social worker Kachru Rathod of village Palsoda has announced to donate an ambulance to his home ashram on the death of his uncle Motilal Nandaji Rathod.

रतलाम। अपनों के जाने के बाद भी उनकी स्मृतियों को जीवित रखने के लिए सबसे बेहतर माध्यम है जीव सेवा। इसी भावना को चरितार्थ करते हुए ग्राम पलसोड़ा के किसान और समाज सेवी कचरु राठौड़ ने अपने चाचा मोतीलाल नंदाजी राठौड़ के निधन पर अपना घर आश्रम के लिए एक एम्बुलेंस दान करने की घोषणा की है। इसके साथ ही मोतीलाल राठौड़ के बेटों संजय और बंटी राठौड़ ने भी अपने पिता की स्मृति में गांव के राम मंदिर निर्माण के लिए 1 लाख 11 हजार रुपए पृथक से दान किए।
पलसोड़ा निवासी मोतीलाल राठौड़ का निधन 5 अक्टूबर को हुआ था। उनकी स्मृति को चिर स्थायी बनाने और समाज में पीड़ितों की सेवा के उद्देश्य के साथ परिवार ने उनके नाम पर दान देने का मन बनाया। बेटों ने पलसोड़ा में बन रहे राम मंदिर के निर्माण के लिए 1 लाख 11 हजार रुपए 13वीं के दिन ही समाज अध्यक्ष नानालाल राठौड़, सचिव बंसी राठौड़, गोविंद राठौड़, लक्ष्मीनारायण राठौड़ आदि को सौंपे। इसके साथ ही समाजसेवी और मोतीलालजी के भतीजे कचरू राठौड़ ने अपने चाचा की याद को जीवित रखने के लिए उनकी सेवा करने का मन बनाया जिन्हें प्रभुजी का दर्जा दिया जाता है। इस भावना के साथ उन्होंने सागोद स्थित अपना घर आश्रम में एक एम्बुलेंस दान करने की घोषणा की।
चाचा से ही मिली थी सीख
आज के दौर में जब रुपए प्राथमिकता बन गए हैं और लोग माता पिता की सेवा से बच रहे हैं, उस दौर में कचरू राठौड़ नई प्रेरणा देते हैं। न केवल चाचा के लिए दान कर रहे हैं बल्कि इसमें सेवा का भाव भी जुड़ा है। वे बताते हैं कि उन्होंने बचपन में अपने परिवार और विशेषकर अपने चाचा से ही समाज की सेवा का भाव सीखा है। मोतीलाल जी का स्वभाव भी हमेशा दूसरों और खासकर वंचितों और ऐसे लोगों की सेवा करने का रहा जिनसे बदले में कोई आशा न हो। चाचा को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए कचरू राठौड़ ने अपना घर आश्रम में सेवा देने का प्रण लिया।
निराश्रितों, बेघरों का घर है अपना घर
अपना घर आश्रम द्वारा शहर समेत आसपास से भी सड़कों पर घूमने या रहने वाले ऐसे लोगों को ले जाकर उनका ईलाज, सेवा और तीमारदारी की जाती है जिनका कोई नहीं। विक्षिप्त, बुजुर्ग, दिव्यांग सभी प्रकार के पीड़ितों को यहां प्रभुजी के नाम से संबोधित कर उन्हें साफ, सुरक्षित, सेवाभावी वॉलेटिंसर्य के साथ डॉक्टरी इलाज भी दिया जाता है। रतलाम में पिछले तीन माह से अपना घर आश्रम संचालित हो रहा है जहां से कुछ प्रभुजी ठीक होकर अपने घर लौटे हैं, जबकि अन्य की सेवा वहीं पर जारी है।
सुविधाओं से युक्त है एम्बुलेंस
राठौड़ बताते हैं कि अपना घर से जुड़ने के बाद से उन्हें ईश्वरीय आराधना और सेवा का नया आयाम देखने और सीखने को मिल रहा है। ऐसे में वे चाचा की याद में यहीं के लिए एम्बुलेंस दे रहे हैं जो मरीजों को लाने- ले जाने के लिए सुविधाओं से युक्त होगी। परिवार की इस अनुकरणीय पहल पर सभी समाजजनों एवं ग्रामवासियों ने हर्ष जताते हुए अन्य लोगों को भी प्रेरणा लेने की अपील की।
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