संक्रमण समय में "स्कूल-पेरेंट्स एग्रीमेंट" एक नवाचार और ठोस परिणाम का आधार
"स्कूल-पेरेंट्स एग्रीमेंट" एक नवाचार -एग्रीमेंट में संक्रमण समय में मायने क्या -उभयपक्षों की ये जागरूकता

- गजेन्द्र सिंह राठौर
स्कूल और पेरेंट्स के बीच हमेशा एक दूरी बनी रहती है। निजी स्कूल्स में पेरेंट्स की चिंताएं इस दूरी को कम करती है तथा सरकारी स्कूल्स में शिक्षकों की जागरूकता इसमे योगदान करती है। इस दूरी को पाटने के लिए स्कूल-पेरेंट्स अग्रीमेंट बनाये जाते हैं। स्कूल खुलने के समय पेरेंट्स और स्कूल के बीच बेहतर तालमेल, विद्यार्थी कल्याण के आदर्श दृष्टिकोण और शिक्षा संस्थानों की गरिमा को बनाये रखने के लिए इन्हें बनाया जाता है।आदर्श रूप में इन्हें स्कूल और पेरेंट्स मिलकर बनाते हैं।
क्या होता है इस एग्रीमेंट में
अमूमन अंतराष्ट्रीय स्तर के स्कूल्स में विद्यार्थी के प्रवेश लेने के दौरान स्कूल और पेरेंट्स के बीच एक एग्रीमेंट बनता है जिसमें फीस के लेन-देन से स्कूल के नियमों के पालन तक की बातें होती है। ज्यादातर में वो नियमावली अधिक और एग्रीमेंट कम प्रतीत होता है। प्रतिष्ठित सरकारी स्कूल्स के रूप में मेरे स्कूल सी एम राइज विनोबा रतलाम सहित कुछ सौ सरकारी स्कूल्स में भी ये एग्रीमेंट हो सकते हैं। सरकारी स्कूल्स में पालकों में जागरूकता की कमी,अल्प शिक्षा, पढाई के महत्व से अनजान,बसाहट में रोल मॉडल की कमी,टू वे इंटर एक्शन से दोनों पक्षों में झिझक सहित कई कारणों से ये एग्रीमेंट उतने कारगर नहीं होते।संस्था खुलने के समय बनते है और कुछ समय बाद सिर्फ विचार बनकर रह जाते हैं।
एग्रीमेंट में संक्रमण समय में मायने क्या
कोई भी स्कूल प्रबंधन हो उसके लिए उसके मिड टर्म रिजल्ट बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।हम इसे चिंताजनक अर्थात संक्रमण समय के रूप में स्कूल और पेरेंट्स दोनों की तरफ से मान सकते हैं। लगभग सभी स्कूल्स में मिड टर्म रिजल्ट के बाद पेरेंट्स मीटिंग होती है। यही चिंताजनक समय का संवाद है। स्कूल्स में पेरेंट्स और शिक्षक प्रभावी स्टेक होल्डर होते हैं। दोनों ही आगे की परीक्षाओं के नतीजों और विद्यार्थी के भविष्य को लेकर आशंकित भी रहते हैं।वे मिलकर इस पेरेंट्स मीटिंग में संक्रमण समय के स्कूल-पेरेंट्स एग्रीमेंट से लाभ ले सकते हैं।
कैसे बनेगा ये रियल टाइम एग्रीमेंट
आजकल सभी स्कूल्स में शाला प्रबंधन समिति या शिक्षक-पालक संघ होते है। उनमें कुछ ओर जागरूक पालकों को जोड़कर इस मिड टर्म रिजल्ट के बाद एक मीटिंग की जा सकती है। इस मीटिंग में शिक्षक,पालक और स्कूल लीडर्स शामिल होंगे और मिलकर ये स्पेसिफिक एग्रीमेंट बनाएंगे।
क्या होगा इस एग्रीमेंट में
ये रिजल्ट ओरिएंटेड स्पेसिफिक एग्रीमेंट होगा जो स्कूल खुलने के एग्रीमेंट से भिन्न होगा।इसमें रिजल्ट सुधार के परिप्रेक्ष्य में दोनों पक्षो की भूमिका,अपने-अपने कर्तव्य जैसे विद्यार्थी की पढाई, रूटीन पालन, गृह कार्य,पारिवारिक चिंताएं,वन आॅन वन फीडबैक आदि के साथ पूरा एक रोड मैप भी होगा। इसका पालन स्कूल और पेरेंट्स दोनों को करना होगा। इस एग्रीमेंट के बनने के बाद संस्था के विभिन्न प्लेटफार्म पर अन्य पालकों से राय लेकर अंतिम मसौदा बनेगा।जिसे पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में रखा जाएगा जिसका दोनों पक्ष पालन करेंगे।
उभयपक्षों की ये जागरूकता
नतीजों को निजी और सरकारी दोनों जगह ओर बेहतर करेगी। सरकारी सिस्टम में पालकों को जोड़ना वास्तव में एक बहुत जटिल और चुनोतिपूर्ण कार्य है। अगर इसे स्कूल के समग्र प्रयासों का अनिवार्य और सबसे महत्वपूर्ण घटक मान लिया जाए तो सत्र के मिड टर्म के इस चिंताजनक समय का बेहतर प्रबंधन और समन्वय करके उत्कृष्ट परिणाम लाये जा सकते हैं। संक्रमण समय में स्कूल-पेरेंट्स स्पेसिफिक एग्रीमेंट महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
लेखक परिचय -
गजेन्द्र सिंह राठौर, उप प्राचार्य (हाई स्कूल प्राचार्य) सी एम राइज विनोबा रतलाम हैं। म.प्र. के शिक्षा जगत में गजेंद्र सिंह राठौर प्रतिभाशाली नवाचारी और समर्पित एजुकेशन इंफ्लुएंसर के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन्हें 2017 में भारत के सर्वोच्च शिक्षक सम्मान, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 2001 तथा 2016 में मध्य प्रदेश के नवाचारी विज्ञान शिक्षक के प्रतिष्ठित पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। वर्तमान में ये सी एम राइज विनोबा रतलाम के उप प्राचार्य(हाई स्कूल प्राचार्य) हैं।
इनकी संस्था को वैश्विक संगठन टी 4 एजुकेशन के विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्कूल पुरस्कारों के अंतर्गत नवाचार श्रेणी में दुनिया के शीर्ष स्कूल के रूप में मान्यता दी गई है। स्कूल प्रबंधन में राज्य-स्तरीय मास्टर ट्रेनर है। स्कूल नेतृत्व पर विभिन्न पाठ्यक्रम लेखन और और विभागीय प्रकाशनों में योगदान दिया है। साइंस फिजिक्स टीचिंग,चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या,कम लागत वाली शिक्षण सामग्री में संसाधन विशेषज्ञ सहित इनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विभिन्न शैक्षिक संस्करण है जिनसे लाखों विद्यार्थी और शिक्षक जुड़े है। हाल ही में दुबई में आयोजित वर्ल्ड स्कूल समिट के लिए इन्हें शिक्षाविद स्पीकर के रूप में भी चुना गया।
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