नन्हीं बेटी खोई, बदहवास मां को 40 मिनट में जिंदगी ने दिखा दिए कई रंग -हुआ कुछ ऐसा कि पत्रकारों ने भी छोड़ दिए कैमरे और कलम
जिला न्यायालय रतलाम से कालिका माता बगीचे के बीच का सफर एक महिला के लिए जिंदगी भर का सबक और सुकून दोनों देने वाला बन गया। यहां रतलाम के पत्रकारों की नैतिकता भी मिसाल बन गई।
छोड़कर भाग रहे पति का पीछे करने दौड़ी मां पर उस वक्त दुखों का पहाड़ टूट पड़ा जब नन्ही बच्ची भी बिछड़ गई। महिला इतना बदहवास हो गई कि बेटी का नाम चीखते-पुकारते, रोते, हर आने-जाने वाले को बेटी का फोटो दिखाने लगी। ये मंजर कुछ पत्रकारों ने देखा तो खबर छोड़ पहले अपनी नैतिक जिम्मेदारी उठाते हुए बच्ची को ढ़ूढ़ने में लग गए। सभी की मेहनत रंग लाई और कुछ देर बाद बच्ची को ढ़ूढ़ लिया गया जो इतनी देर में मां से भी ज्यादा व्याकुल हो चुकी थी।
ये पूरा वाकया सुनने में फिल्मी लगता है, लेकिन ये हकीकत एक महिला पर शनिवार को गुजरी। महिला के अनुसार पति उसे छोड़कर चला गया है। उनकी करीब 3 साल की बेटी है, लेकिन पति या परिवार देखने भी नहीं आता। शनिवार को तलाक को लेकर कोर्ट में तारीख थी। यहां पर पति दिखा तो उससे बात करने के लिए पास जाने लगी। यह देखकर आदमी ने दौड़ लगा दी। बेटी को गोद में लिए महिला ने पीछे दौड़ लगाई, मगर बच्ची रोने लगी तो कोर्ट के सामने हड़बड़ाहट में उसे उतारकर वहीं खड़ी रहने का बोल पति को पीछे दौड़ने लगी। तब तक पति बहुत दूर जा चुका था, जिसे देख थककर रोते हुए महिला वापस लौटी, पर यहां से भी बच्ची भी गायब हो चुकी थी।
रोती बिलखती मां को देख, पत्रकारों ने की मदद
महिला इतनी घबरा गई कि जोर-जोर से रोने लगी। बेटी का फोटो फोन में दिखाकर वहां खड़े और आ-जा रहे लोगों से पूछने लगी। वहां खड़े पत्रकार विजय मीणा, मुकेशपुरी गोस्वामी, राजेंद्र केलवा, सुधीर जैन, दिव्यराज सिंह राठौर, विनोद वाधवा ने उस महिला को रोते देखा तो उससे समस्या पूछी। जैसे ही महिला ने आपबीती बताई तो पत्रकारों ने बच्ची को ढ़ूढ़ने के लिए सोशल मीडिया पर जानकारी डाली। इस बीच कुछ लड़के महिला को भ्रमित करते हुए उसे अपने साथ गाड़ी पर चलने को भी कहने लगे जो पत्रकारों को देखते ही भाग निकले। महिला की पीड़ा देख पत्रकार अलग-अलग कालिका माता परिसर, कोर्ट परिसर, पोलोग्राउंड से लेकर पुराने एसपी आफिस क्षेत्र में बच्ची को ढ़ूढ़ने लगे।
...और ऐसे मिली बच्ची
करीब आधे घंटे बाद कालिका माता बगीचे से लगे अधिवक्ताओं के दफ्तरों के सामने कालू नाम का एक युवक उसी बच्ची को लेकर पंहुचा। उसने लोगों को बताया कि बच्ची अकेली कालिका माता मंदिर बगीचे के पास रो रही थी। वहां कुछ लोगों को बच्ची को खोने की जानकारी थी जिन्होंने पत्रकार विनोद वाधवा को सूचना दी। वाधवा पंहुचे और साथी पत्रकारों और मां को बुलाया। बच्ची को देखते ही मां दौड़कर आई और उसे गोद में उठाकर फूटफूट कर रोने लगी। डरी हुई बेटी भी मां से चिपक गई।बहुत देर तक मां उसे अकेले छोड़कर जाने पर खुद को कोसती और उसे ढ़ूढ़ने में मदद करने वालों का बार बार आभार जताकर रोती रही। उसे समााकर पत्रकारों ने ही दोनों को घर तक पंहुचाने की व्यवस्था करके रवाना किया।
What's Your Reaction?